वन नेशन-वन इलेक्शन: जेपीसी में कांग्रेस और अन्य दलों के नामों की सिफारिश

नई दिल्ली,। केंद्र सरकार द्वारा वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। अब जेपीसी का गठन लोकसभा स्पीकर को करना है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने समिति के लिए अपने-अपने सदस्यों के नाम फाइनल कर दिए हैं। 
कांग्रेस ने जेपीसी में शामिल करने के लिए जिन नेताओं के नामों को फाइनल किया है, उनमें प्रियंका गांधी का नाम भी शामिल है। सूत्रों की मानें तों कांग्रेस ने जेपीसी के लिए चार नाम सुनिश्चित किए हैं, जिनमें मनीष तिवारी जो कि अनुभवी वकील और वरिष्ठ नेता हैं। दूसरा नाम प्रियंका गांधी का है जो पार्टी की महिला नेतृत्व का चेहरा हैं। तीसरे हैं सुखदेव भगत जो आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं और चौथे रणदीप सुरजेवाला का नाम हैं जो पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार और वकील हैं। ये चारों नेता वन नेशन-वन इलेक्शन पर कांग्रेस का पक्ष जेपीसी के मंच पर रखेंगे।
यदि अन्य दलों के संभावित सदस्यों की बात करें तो सूत्र बता रहे हैं कि डीएमके से पी. विल्सन (मशहूर वकील), टी. सेल्वागेथी हो सकते हैं, जबकि समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव का नाम हो सकता है, जिन्होंने इससे पहले भी सपा का पक्ष रखा है। तृणमूल कांग्रेस से कल्याण बनर्जी, साकेत गोखले हो सकते हैं।   

जेपीसी का गठन और कार्यप्रणाली
जेपीसी में राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल होंगे। आमतौर पर लोकसभा के सदस्य राज्यसभा के मुकाबले दोगुने होते हैं। यह समिति प्रस्तावित बिल या मुद्दे की गहन समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करती है। जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार संशोधित बिल को संसद में पेश करती है। 

वन नेशन-वन इलेक्शन की संवैधानिक चुनौती 
यह प्रस्ताव एक संवैधानिक संशोधन की मांग करता है, जिसके लिए सरकार को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी। जेपीसी का गठन इस दिशा में आम सहमति बनाने और विपक्ष के विचारों को शामिल करने की कोशिश के तहत किया गया है। 

आगे का रास्ता 
जेपीसी की रिपोर्ट और चर्चा के बाद ही वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को संसद में पेश किया जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी क्या राय रखते हैं और क्या सरकार विपक्ष के साथ सहमति बना पाती है।

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