शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली बैठक का आयोजन हुआ

शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली बैठक का आयोजन हुआ

सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत ने एक बार फिर साफ कर दिया है की आतंकवाद के मुद्दे पर वह अपनी पुरानी रणनीति पर ही अडिग है और इस बारे में वह हर अंतरराष्ट्रीय मंच से पड़ोसी देश पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरे को बेनकाब करने की कोशिश में कोई कोताही नहीं करेगा।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की पहली बैठक में भारत के एनएसए ने ना सिर्फ पाकिस्तान को आतंकवाद को खुली मदद देने के नाम पर घेरा बल्कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं में दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन करने के मामले में पाक के मित्र देश चीन को भी लपेटे में लिया। वैसे यह भारत का पुराना स्टैंड है लेकिन जिस तरह से डोभाल ने एससीओ के मंच पर अपने राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों को रेखांकित किया है वह भारत के सख्त रूख को बताता है।

कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में चल रही इस बैठक में डोभाल ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरापन अब नहीं चलेगा। सीमा पार से आतंकवाद का संचालन करने वाले और इसे किसी भी तरह से समर्थन करने वालों, इसे वित्त सुविधा उपलब्ध कराने वालों या संरक्षण देने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी ही होगी। सनद रहे कि पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है।

पिछले साल भारत ने एससीओ के बैठक की अध्यक्षता की थी जिसकी कई बैठकें भारत में भी हुई थी। एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी हिस्सा लिया था। आज की बैठक में भी डोभाल का संकेत सीधे तौर पर पाकिस्तान की तरफ ही था।

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