अभी मैं सही अर्थों में रिटायर नहीं हुआ हूं – शिवराज; पुणे में बोले कि राजनीति में आने से डरो मत ,आगे बढो
अभी मैं सही अर्थों में रिटायर नहीं हुआ हूं – शिवराज; पुणे में बोले कि राजनीति में आने से डरो मत ,आगे बढो
भोपाल। ‘मुझे फॉर्मर चीफ मिनिस्टर कहा, लेकिन अपन रिजेक्टेड नहीं हैं। अपन छोड़ के भी आए तो ऐसे आए कि हर जगह जनता का स्नेह और प्यार मिलता है। जहां जाते हैं वहां लोग कहते है मामा-मामा-मामा, यही अपनी असली दौलत है।
‘पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात महाराष्ट्र के पुणे में कही। वे यहां आयोजित छात्र संसद के आखिरी दिन 12 जनवरी को समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- छोड़ दिया, इसका मतलब ये नहीं है कि राजनीति नहीं करूंगा। मेरी राजनीति किसी पद के लिए नहीं, बड़े लक्ष्य के लिए है।
राजनीति अमीरों की तिजोरी नहीं –
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- क्या राजनीति में धन का प्रभाव खत्म करने के लिए तुम काम नहीं करोगे। क्या राजनीति केवल अमीरों की तिजोरी से चलेगी। अगर 35-40 करोड़ रुपए एमएलए बनने के लिए खर्चा करोगे तो देश की सेवा करेंगे, प्रदेश की सेवा करेंगे। राजनीति से धन के प्रभाव को समाप्त करना होगा।
सबने कहा था कि भाजपा नहीं जीतेगी
पूर्व सीएम शिवराज ने कहा- विधानसभा चुनाव में कई चुनावी विश्लेषकों ने कहा था कि मध्यप्रदेश में भाजपा नहीं जीतेगी। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि क्लीन स्वीप करेंगे। मेरी पार्टी के कुछ नेता भी मुझसे कहते थे, मुश्किल है, नहीं हो पाएगा।
मैंने तय किया कि किसी भी कीमत पर मैं पार्टी को जिताऊंगा। कोई ताकत मुझे जीतने से नहीं रोक सकती। एक संकल्प पैदा हुआ और उसके अनुरूप काम किया। जब परिणाम आए, तब कांग्रेस ने नहीं, भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। सबसे ज्यादा वोट आए और सबसे शानदार सीटें आईं।
मैं एक ही क्षेत्र से 11 बार जीता
शिवराज ने कहा- ये भी होता है। मैं अहंकार की बातें नहीं बोल रहा हूं। एक क्षेत्र से मैं लड़ता हूं। अब तक मैं 11-12 चुनाव लड़ा हूं पार्टी ने मुझे लड़ाया था। दिग्विजय सिंह जब मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उनके खिलाफ वहां भी लड़ने पहुंच गया, लेकिन एक ही क्षेत्र से 11 बार जीता हूं।
आज कोई मेरे क्षेत्र में जाकर देख लेना, सरेआम मीडिया के सामने कह रहा हूं। मैं चुनाव में प्रचार करने नहीं जाता, एक दिन पहले फॉर्म भरने निकलता हूं। गांव की जनता आती है मुझे थैली भेंट करती है जिसमें पैसे और सूची होती है। रामलाल के 100 रुपए, श्यामलाल के 200 रुपए और उस पैसे से चुनाव लड़ते हैं। ये भी होता है, ईमानदारी से काम करो जनता साथ देगी।