फरवरी में मुख्य चुनाव आयोग के पदाधिकारी मप्र का दौरा करेंगे; अभी दो दिन की कार्यशााला दिल्ली में ही हो रही है
फरवरी में मुख्य चुनाव आयोग के पदाधिकारी मप्र का दौरा करेंगे; अभी दो दिन की कार्यशााला दिल्ली में ही हो रही है
भोपाल। आगामी लोकसभा के चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसलिए में प्रशिक्षण ओर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। बता दें कि हाल ही में पूरे देश के कलेक्टरों का प्रशिक्षण दिल्ली में किया गया । मप्र का प्रशिक्ष्ण हो चुका है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए एमपी के कलेक्टरों को तीन चरण की ट्रेनिंग देने के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को मीटिंग के लिए दिल्ली बुलाया है। देश के सभी राज्यों के सीईओ के साथ बुलाई गई दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए सीईओ अनुपम राजन दिल्ली में हैं। उधर यह बात भी सामने आई है कि फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद चुनाव आयोग की फुल बैंच भोपाल आ सकती है और यहां कलेक्टरों की फिर मीटिंग होगी।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव को लेकर की जा रही तैयारियों के बीच चुनाव से जुड़े अफसरों का मानना है कि आयोग इस बार 20 से 29 फरवरी के बीच कभी भी आचार संहिता लागू कर चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है। इसी के मद्देनजर आयोग ने चुनाव की तैयारियां तेज करने के साथ समीक्षा का काम भी तेज किया है।
अफसरों के अनुसार एमपी में चूंकि चुनाव एक माह पहले ही हुए हैं और मतदाता सूची का ज्यादा काम नहीं है, इसलिए आयोग का दौरा फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद एमपी में हो सकता है। अब तक आयोग चार राज्यों का दौरा कर चुनावी तैयारियों की समीक्षा भी कर चुका है और इसी के मद्देनजर अब आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को दिल्ली बुलाया है।
चार चरण में हुआ था चुनाव
मध्यप्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चार चरण में मतदान हुआ था। यहां 29 लोकसभा क्षेत्र हैं और चार चरण की वोटिंग के दौरान एक चरण में सात से आठ लोकसभा क्षेत्र कवर किए गए थे। दो दिन तक चलने वाली बैठक में आयोग सीईओ को इसके संकेत देगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव कितने चरणों में कराए जा सकते हैं।
चुनाव कराने के साथ रिटायर होंगे संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पदस्थ संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राकेश सिंह इसी साल रिटायर होंगे। सूत्रों के अनुसार इसी साल मई में उनका रिटायरमेंट है। हालांकि पिछले चुनाव में तीस मई तक मोदी सरकार का गठन हो गया था लेकिन इस बार की स्थिति चुनाव कार्यक्रम घोषित होने पर साफ होगी। ऐसे में यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि सिंह को चुनाव के दौरान मुख्य भूमिका में रखा जाएगा या बदलाव किया जाएगा।