मप्र सीएम चेहरे की तलाश के लिए तीन पर्यवेक्षक नियुक्‍त; ओबीसी चेहरे में सबसे मजबूत दावेदार प्रहलाद पटेल हैं

मप्र सीएम चेहरे की तलाश के लिए तीन पर्यवेक्षक नियुक्‍त; ओबीसी चेहरे में सबसे मजबूत दावेदार प्रहलाद पटेल हैं

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भाजपा का मंथन लगातार जारी है। इसका पहला चरण तो इस रूप में देखने को मिल रहा है कि पार्टी ने बैठक से पहले रायशुमारी के लिए तीन पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं। इनमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर, भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण और पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा शामिल हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि खट्‌टर और के. लक्ष्मण विधायकों से वन टू वन चर्चा कर सकते हैं।

जानकारी तो यही मिली है कि भाजपा अब नए ओबीसी चेहरे पर विचार कर रही है। यही वजह है कि शीर्ष नेतृत्व ने नए चुने गए ओबीसी विधायकों की लिस्ट मांगी है। भाजपा ने 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस बैठक में विधायकों से रायशुमारी के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, इसकी घोषणा की जा सकती है।

भाजपा के नजदीकि सूत्रों की माने तो पार्टी आलाकमान मप्र में सीएम को लेकर ओबीसी चेहरे की ओर बढ़ रहा है। शिवराज सिंह चौहान के बदलने की स्थिति में प्रहलाद पटेल का नाम सबसे आगे है। बिल्कुल नया ओबीसी फेस देने पर भी विचार हो रहा है। अगर ओबीसी कार्ड नहीं चला तो ऐसे में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। सभावना यह भी जताई जा रही है कि इस बार के सरकार गठन में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू किया जा सकता है।

पर्यवेक्षक नियुक्ति में भी जातीय संतुलन रखा

मप्र के लिए जिन तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है उसमें जातीय संतुलन साफ देखने को मिल रहा है। बीजेपी ने मध्यप्रदेश के लिए पंजाबी खत्री समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सामान्य वर्ग के मनोहर लाल खट्टर के साथ ही ओबीसी नेता के. लक्ष्मण और आदिवासी नेता आशा लकड़ा को मुख्यमंत्री चयन के लिए पर्यवेक्षक बनाया है।

  कोई सदन छोटा नहीं होता- प्रहलाद

सांसद से विधायक बने प्रहलाद पटेल शुक्रवार को विधानसभा पहुंचे। उन्होंने कहा, मैंने विधानसभा में विधायक के तौर पर पहली बार प्रवेश किया है। लोकसभा से विधानसभा आने के सवाल पर कहा, सदन, सदन होता है। कोई सदन छोटा नहीं होता है। संख्या और नियमों का अंतर है। अगर ईश्वर ने चौकीदारी का काम दिया है तो चौकीदारी ही करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री फेस की घोषणा में हो रही देरी पर प्रहलाद पटेल ने कहा, पांच राज्यों को लेकर फैसले होने हैं, इसलिए समय लग रहा है। जब मैं मणिपुर का प्रभारी था, तब भी समय लगा था। फिलहाल लोकसभा चल रही है, इसलिए भी समय लग रहा है। खुद के मुख्यमंत्री फेस के सवाल पर बोले- आप सभी का धन्यवाद।

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