मणिपुर हिंसा : मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार हों, लाशों के चलते हिंसा भड़कने नहीं दे सकते – सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने 11 दिसंबर तक का समय दिया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए 11 दिसंबर तक का समय दिया है। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में उन 88 लोगों के शव भी शामिल होंगे जिनकी पहचान कर ली गई है, लेकिन जिन्हें उनके परिवार वाले लेने नहीं आए हैं। कोर्ट ने कहा कि लाशों को लेकर हिंसा जारी रहने नहीं दे सकते हैं।

मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 187 लोगों की जान जा चुकी है। इन्हें लेकर कोर्ट ने कहा कि या तो मृतकों के परिजन उनका शव ले जाएं और राज्य सरकार की तरफ से तय की गई 9 में से किसी भी एक कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार पूरा करें, नहीं तो मणिपुर सरकार राज्य के कानून के हिसाब से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी करेगी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि लाशों का ढेर लगाए रखने के पीछे हिंसा भड़काते रहने की मंशा नजर आती है। लेकिन हम लाशों के ऊपर हिंसा भड़कने नहीं दे सकते हैं। हम इन शवों को अनिश्चितकाल के लिए मॉर्चुरी में नहीं रख सकते हैं।

जिन 88 शवों की पहचान हुई है, उनमें से ज्यादातर कुकी-जो समुदाय के हैं और अधिकतर क्रिश्चियन हैं। बेंच ने इन शवों के सामूहिक अंतिम संस्कार का आइडिया खारिज कर दिया है। बेंच ने कहा कि सामूहिक अंतिम संस्कार के दौरान विरोध भड़कने की आशंका है, जिससे हालात और खराब होंगे, जो कोर्ट नहीं चाहती है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिन 81 शवों को पहले ही उनके परिजन को सौंपा जा चुका है, उनका अंतिम संस्कार तय किए गए नौ कब्रिस्तानों में से किसी एक पर किया जाए और इसमें किसी तीसरी पार्टी का दखल न हो।

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