चिड़ियाघर में सर्दी के इंतजाम

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में उत्तर भारत से आने वाली सर्द हवा ने ठंडक का अहसास कराना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि ग्वालियर चिड़ियाघर में रहने वाले पशु-पक्षी, जानवरों के रहन सहन व खान-पान में भी बदलाव हो गया है। ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में टाइगर, शेर के केज में हीटर लगा दिए गए हैं। सुबह शाम यह टाइगर और शेर हीटर और दिन में धूप से ताप लेते नजर आते हैं। सांपों के केज में बल्ब लगाकर हीट दी जा ही है। अन्य जानवरों के पिंजरों को ग्रास से कवर किया गया है। इतना ही नहीं ग्वालियर चिड़ियाघर में सर्दी की दस्तक से मैन्यू भी बदल गया है। अब जनवरों को गर्माहट देने वाली सब्जियां व खाना दिया जा रहा है।उत्तर भारत में पहाड़ों पर बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में दिखने लगा है। यही कारण है कि अब ठंड खुद के आने का अहसास कराने लगी है। जब इंसानों को सर्दी सता रही है तो ग्वालियर के फूलबाग स्थित गांधी प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) इससे कैसे अछूता रह सकत है। चिड़ियाघर में ऐसे जानवर जो खुले में रहते हैं, जैसे हिरन, नीलगाय आदि उनके बेड़े में सूखी घास डलवा दी गई है, जिससे सतह गर्म रहे। आने वाले दिनों में सर्दी तेज होते ही शाम के वक्त उनके बेड़े में अलाव की व्यवस्था भी की जाएगी।

वहीं शेर और टाइगर के पिंजरों में हीटर लगा दिए गए हैं। पक्षियों के केज को ठंडी हवा से बचाने लिए पर्चे लगा दिए गए हैं। सांप के सेल में बल्ब जलाकर हीट की व्यवस्था की जा रही है।

बात अगर जानवरों के खानपान की करें तो सभी जानवरों को इस मौसम में मैथी, हरा लहसुन, गुड़ और बरसीम खाने के लिए दिया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें भोजन में मौसमी सब्जियां और फूट्स भी खिलाए जा रहे हैं। बंदरों को भुने हुए चने दिए जा रहे हैं। अभी गर्माहट देने वाली सब्जी, भाजी जानवरों को खिलाई जा रही है। जो शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला खान पान है उसे बंद कर दिया गया है।

जंगल का राजा कहे जाने वाला शेर को गर्माहट देने के लिए 4 से 6 हीटर लगाए गए हैं। साथ ही उन्हें अब पूरे ह ते भोजन में मास दिया जा रहा है। नाग के केज में सूखी घास और 200 वाट के बल्ब लगा दिए गए हैं जिससे उन्हें सर्दी में गर्माहट मिल सके।इस बारे में चिड़ियाघर के डॉक्टर गौरव परिहार का कहना है कि चिड़ियाघर में अलग-अलग प्रजाति के पशु-पक्षी और जानवर हैं, जिनको अलग-अलग टेंपरेचर पर रहने की आदत है। इसलिए उनके हिसाब से पिजरों और उनके बाड़ों में इंतजाम किए गए हैं।

 

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