एंडोस्कोपिक कैमरे की मदद से पहली बार दिखे टनल में फंसे 41 मजदूर बचाव में अभी भी कई दिन लग सकते हैं

 

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को हादसे के 10वें दिन एंडोस्कोपिक कैमरे से देखा गया। मंगलवार सुबह करीब 3 बजकर 52 मिनट पर मजदूरों से बातचीत की गई। मजदूरों की गिनती हुई। सभी सुरक्षित हैं। पाइप के जरिए इन्हें पहली बार गर्म खिचड़ी-दाल और जूस भेजी गई। इधर, मजदूरों के रेस्क्यू को लेकर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य ले. जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने तीन अलग-अलग प्लान के बारे में मीडिया को बताया। इसमें 2 दिन, 15 दिन या 35 से 40 दिन भी लग सकते हैं।

सबसे तेज ऑप्शन ऑगर मशीन का है। रुकावट नहीं आई तो दो-ढाई दिन में सुरंग बन जाएगी। इसमें मलबा आने का खतरा है, इसलिए दूसरी ओर से ड्रिलिंग की मशीनें बुलाई गई हैं।अगर ऑगर के रास्ते में हार्ड रॉक और स्टील आए तो उनको काटने का भी इंतजाम है। दूसरा सबसे तेज ऑप्शन सिलक्यारा टनल की दोनों साइड से खोदकर रास्ता बनाने का है। इसमें 12-15 दिन लग सकते हैं। इसके अलावा तीसरा और सबसे लंबा तरीका डंडालगांव से टनल खोदना है। इसमें 35-40 दिन लग सकते हैं। मंगलवार को सिलक्यारा और डंडालगांव में वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो गई है।

परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन और ले. जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने बताया कि मजदूरों को साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग की जरूरत होगी। हमारे दो एक्सपर्ट वहां मौजूद हैं। कम्युनिकेशन चैनल स्थापित होते ही काउंसिलिंग की जाएगी। टनल के अंदर ज्यादा ठंड नहीं है। अभी मौसम हमारा साथ दे रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ की दो टीमें किसी अनहोनी के मद्देनजर उससे निपटने के लिए रिहर्सल कर रही हैं। अगर जरूरत पड़ी तो वे रेंगकर अंदर जाने और रेस्क्यू स्टाफ को बचाने में सक्षम हैं।

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