निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति से मिलती है मुक्तिः अमित पारख
निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति से मिलती है मुक्तिः अमित पारख

निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति से मिलती है मुक्तिः अमित पारख
सम्वतसरी महापर्व रविवार, 19 सितम्बर को
ग्वालियर 18 सितम्बर। पर्युषण पर्व के सॉंतवे दिन उपाश्रय भवन में प्रवचन देते हुए श्री वर्घमान जैन स्वाध्याय मंडल जावरा से श्री अमित पारख, अभिषेक चन्द्रावत एवं सौरभ काठेड़ ने कल्पसूत्र का वाचन करते हुए जैनों के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के जीवन चरित्र को विस्तार पूर्वक समझाया। अमित पारख ने आज के प्रवचन में बताया गया कि पर्श्वनाथः भगवान के कितने भव हुये और आदिनाथ भगवान के कितने भव हुये कैसे और कब आदिनाथ भगवान मोक्ष में गए ये वृतांत आज बताया गया और साथ ही परमात्मा नेमीनाथ का भी चरित्र वर्णन बताया गया कि कैसे उन्होंने जीवों की रक्षा की और जीव दया के बारे में समझाया, अभयदान का महत्व बताया और सभी को जीवदया की और प्रेरित किया तथा सभी को कल सवंत्सरी महापर्व दिवस में पोषध करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने प्रवचनों में बताया कि मनुष्य को निस्वार्थ भाव से कर्म करना चाहिये फल की कदापि भी चिंता नहीं करनी चाहिए। निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति से ही मुक्ति मिलती है। अगर साधक पूजा करने से पहले ही फल की कामना करता है तो ऐसी पूजा व्यर्थ हो जी है। अमित पारख ने बताया कि जो व्यक्ति स्वयं की गलतियों की चर्चा कर उन्हें स्वीकार कर लेता है वही व्यक्ति आगे बढ़ते है। अमित पारख जैन श्वेताम्बर मंदिर सराफा बाजार में चल रहे पर्युषण पर्व के सॉंतवे दिन अपने प्रवचनों में यह बात कही। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति आलोचना से डरता नहीं है वह आत्मबली हो जाता है। सौरभ काठेड़ ने कहा कि आज हम जीत पर जश्न तो मनाते हैं लेकिन हार को स्वीकारते नहीं है। जिन शासन कहा है कि यदि हार हो गई है तो उसे स्वीकारो, भूल को या गलती को स्वीकारने से क्षमा याचना के भव जागृत हो जाते है। यही भाव उन्नति के मार्ग खोलते है। क्षमा करने वाला सदैव बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ पाना है तो शिष्य बनों। लेकिन आज दुविधा यह कि शिष्य कम और गुरू ज्यादा हो गये हैं। इसी कारण गड़बड़ियां भी बढ़ रहीं हैं। सरल और निर्मल व्यक्ति के जीवन की गाड़ी कभी नहीं रूकती है। संतोषी व्यक्ति सदैव सुखी रहता है। पर्युषण पर्व बिना आलोचना और बिना क्षमा के मनाने का कोई अर्थ नहीं है।
पर्व का आंठवा दिनः श्रीसंघ के अध्यक्ष सुनील दफ्तरी, कपूरचंद कोठारी, सुशील श्रीमाल, मनोज पारख, दीपक जैन, राहुल कोठारी एवं संजीव पारख ने बताया कि पर्युषण पर्व के आंठवे दिन सम्वतसरी महापर्व मनाया जायेगा। प्रातः 9 बजे से उपाश्रय भवन में अमित पारख द्वारा 1250 सूत्रों का वाचन एवं चित्र दर्शन कराया जायेगा। तद् उपरान्त साधू समाचारी का वाचन किया जायेगा। दोपहर को ठीक 4 बजे से पुरूषों एवं महिलाओं का एकसाथ साल का सबसे बड़ा प्रतिक्रमण प्रारंभ होगा जिसमें 84 लाख जीवयोनियों से क्षमा याचना की जायेगी एवं वर्ष भर में जो भी भूल, गलती, अशात्ना होती है उसके लिए मिछामीदुक्ड्डम बोलकर क्षमा याचना मांगी जायेगी।