गडचिरोली पुलिस ने ‘वन विलेज, वन लाइब्रेरी’ पहल के तहत अब तक 71 पुस्तकालय स्थापित किए

गडचिरोली. गडचिरोली पुलिस ने जिले में ‘वन विलेज, वन लाइब्रेरी’ (एक गांव, एक पुस्तकालय) पहल के तहत अब तक 71 पुस्तकालय स्थापित किए हैं। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान कर नक्सल प्रभाव को कम करना है। यह जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को दी।

यह पहल 18 जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ सीमा के पास स्थित एक दूरस्थ गांव कोटगुल से शुरू हुई थी। इसका लक्ष्य प्रत्येक पुलिस थाना या चौकी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव में एक पुस्तकालय स्थापित करना है।

इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधीक्षक (एसपी) नीलोत्पल ने एएनआई को बताया, “दो साल पहले हमने सिर्फ एक पुस्तकालय के साथ ‘वन विलेज, वन लाइब्रेरी’ पहल शुरू की थी। आज जिले में 71 पुस्तकालय कार्यरत हैं और 8,000 से अधिक युवा इनका सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि इस पहल की मदद से सैकड़ों युवाओं को नौकरी भी मिल चुकी है। “नलगुंडा जैसे इलाकों में हमने दूरस्थ पुस्तकालयों को पुलिस पोस्ट की कनेक्टिविटी से वाई-फाई से जोड़ा है। अब तक 205 युवाओं का पुलिस बल में चयन हो चुका है और कई अन्य को राजस्व विभाग में नौकरियां मिली हैं। इन पुस्तकालयों में वाई-फाई, किताबें और ऑनलाइन कोचिंग की सुविधा उपलब्ध है, जिससे छात्रों को आगे बढ़ने का मंच मिला है।”

एसपी नीलोत्पल के अनुसार, पहले माओवादी समूह स्थानीय युवाओं को गुमराह करते थे और उन्हें कोई रचनात्मक कार्य नहीं मिल पाता था।

“2020 या उससे पहले, माओवादी समूह युवाओं को गुमराह करते थे और वे किसी सार्थक गतिविधि में शामिल नहीं होते थे। गडचिरोली के युवाओं को सकारात्मक रूप से जोड़ने और अवसर देने के लिए हमने यह पहल शुरू की,” उन्होंने कहा।

कोटगुल लाइब्रेरी के संयोजक राकेश लोहमबारे ने बताया कि इस परियोजना को गांव वालों का मजबूत समर्थन मिला है।

“इस पहल को सफल बनाने के लिए हमने सिर्फ पुलिस विभाग को ही नहीं, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी शामिल किया। पुस्तकालय की इमारत पहले खंडहर जैसी थी; हमने गांव वालों की मदद से इसका नवीनीकरण किया और सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराईं,” लोहमबारे ने कहा।

“आज यहां नियमित रूप से पढ़ाई करने वाले छात्रों के अलावा स्कूल के बच्चे भी आकर पूछते हैं कि क्या वे यहां पढ़ सकते हैं। इस पुस्तकालय ने हमारे क्षेत्र के युवाओं में आत्मविश्वास को काफी बढ़ाया है,” उन्होंने जोड़ा।

एक छात्रा, नंदकुमारी हिडमे ने कहा कि इस पुस्तकालय ने उनकी ज़िंदगी बदल दी है।

“जब से मैं पुस्तकालय आना शुरू की हूं, मुझे अपने भीतर एक बदलाव महसूस हो रहा है। मैं पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही हूं। मेरा गांव यहां से 3 किलोमीटर दूर है। पहले मुझे प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में कुछ पता नहीं था, लेकिन अब मैं यहां सब कुछ सीख रही हूं। मुझे उम्मीद है कि मैं आगामी पुलिस परीक्षा पास कर लूंगी,” उन्होंने एएनआई को बताया।

यह कार्यक्रम सामुदायिक समर्थन से संचालित होता है। पुस्तकालय के लिए स्थान, फर्नीचर और किताबों की व्यवस्था पुलिस विभाग और स्थानीय ग्राम पंचायतों द्वारा की जाती है। एनजीओ ने कंप्यूटर और प्रोजेक्टर दान में दिए हैं।

नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, राज्य आरक्षित पुलिस बल (SRPF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) से भी फंडिंग मिली है। इस पहल के विस्तार के लिए जिला खनिज निधि (DMF) में प्रस्ताव भेजे गए हैं।

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