संपूर्ण देश में गणेश महोत्सव की मची धूम, श्रीगोपालजी धाम में श्रीगणेश पुराण कथा का हुआ शुभारंभ
संपूर्ण देश में गणेश महोत्सव की मची धूम, श्रीगोपालजी धाम में श्रीगणेश पुराण कथा का हुआ शुभारंभ
आगरा। जब संपूर्ण देश में गणेश महोत्सव की धूम मची है, तब श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में श्रीगणेश पुराण कथा का शुभारंभ हुआ। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कथा में प्रख्यात कथा वाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने गणेश पुराण का महत्व सुनाया। मुख्य यजमान डॉ बृजेश भारद्वाज ने कथा के आयोजन में सहयोग दिया। कथावाचक ने बताया कि गणेश पुराण कथा को सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने वेदव्यास जी को सुनाया था तभी वह निर्विघ्न रूप से 18 पुराणों की रचना कर सके। भगवान श्रीहरि ने भगवान गणेश की आराधना करके ही मधु कैटभ पर विजय प्राप्त की थी। सृष्टि करने में जब बहुत से विघ्न आने लगे तो ब्रह्मा जी ने विघ्न विनाशक विनायक की उपासना की। यह पुराण ब्रह्मा जी से वेदव्यास जी ने और वेदव्यास जी से भृगु ऋषि ने सुना। सौराष्ट्र के राजा सोमकांत जब पूर्व जन्मों के पापों के कारण गलित कुष्ठ को प्राप्त हुए तब वह राज्य को अपने पुत्र को सौंप कर वन चले गए जहां भृगु ऋषि ने उन्हें गणेश पुराण की कथा सुनाई। भृगु ऋषि ने बताया कि पूर्व जन्म में दस्यु कर्म करने के कारण उन्हें इस रोग की प्राप्ति हुई है। भगवान गणेश के मंदिर का जीर्णोद्धार करने के कारण उन्हें राज्य प्राप्त हुआ। यह कथा हमें बताती है कि हमारे रोगों दोषों का कारण हमारे इस जन्म तथा पूर्व जन्म के कृत्य हैं। आगे विदर्भ देश के राजा भीम की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने बताया कि पूर्वजों द्वारा की गई गणपति सेवा का त्याग करने के कारण वे निस्संतान रह गए। सिंधु देश के गणपति भक्त बल्लाल की कथा सुनाते हुए कथा वाचक ने कहा कि खेल-खेल में गणपति भक्ति करने से उसे साक्षात गणपति लोक की प्राप्ति हुई जबकि गणपति मंडप तथा उनके विग्रह को हानि पहुंचाने के कारण उसके पिता कल्याण अंधे कुबड़े गूंगे बहरे और घावों से युक्त शरीर वाले हो गए। गणपति भक्त को सताने के दुष्प्रभाव के कारण वह अगले जन्म में भी वैसा ही हुआ जो महान गणपति भक्त ऋषि मुद्गल के स्पर्श से स्वस्थ हो गया। फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने कथा की व्यवस्थाएं संभाली। मुख्य यजमान डाॅ बृजेश भारद्वाज ने बताया कि कथा की पूर्णता मोदक सहस्त्रार्चन के साथ होगी। इस अवसर पर देवेंद्र गोयल, दीपा लश्करी, वीना कालरा, कांता शर्मा, निष्ठा, वरदान आदि उपस्थित रहे।