संत भोज कराने से मिलता पुण्य

संत भोज कराने से मिलता पुण्य

टूंडला। संतो व ब्राह्मणों को भोजन और दान करना एक पुनीत कार्य है। इस तरह के कार्यक्रम हर व्यक्ति को करना चाहिए जो आर्थिक रूप से संपन्न है। यह बात गांव बालमपुर में आयोजित 24 वें संत सम्मेलन में संत भोज कराते समाजसेवी डालचंद्र एडवोकेट ने कही।

उन्होंने कहा कि संत-गरीबों की सेवा से कोई दूसरा पुण्य कार्य नहीं है। वह हर वर्ष अपने पिता की स्मृति में श्राद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वह संत भोजन और वस्त्र देकर पुनीत कार्य करते है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है।  इस मौके पर प्रेमचंद्र, कालीचरन वर्मा, मुन्नालाल प्रधान प्रतिनिधि, सरोज देवी ग्राम प्रधान, जय प्रकाश रावत, श्रीभगवान उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

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