शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरैना में ’’मोटे अनाज’’ पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

मुरैना 11 दिसम्बर 2023/शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुरैना में 7 दिसम्बर को ’’मोटे अनाज पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में एन.सी.सी. कैडिटों को संबोधित करते हुये महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. किशोर अरोडा ने मोटे अनाजों के महत्व एवं उपयोगिता को बताया साथ ही मोटे अनाजों के प्रचार-प्रसार के लिये इस तरह की कार्यशालाओं के आयोजन को भी सराहा।जन्तुविज्ञान की सहायक प्राध्यापक डॉ. अल्का वार्ष्णेय ने बताया कि यदि हम सशक्त भारत की नींव रखना चाहते हैं तो हमें अपनी जड़ों से जुड़ना होगा। मोटा अनाज प्रारम्भ से ही भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा रहे हैं, जिसे भारत भूलता जा रहा है, लेकिन समस्त विश्व अपना रहा है।

कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. सिंह विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट ईअर 2023) घोषित किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मोटे अनाज (मिलेट्स) को “श्री अन्न“ नाम दिया है। श्री अन्न (मोटे अनाज) में ज्वार, बाजरा, रागी, समां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू शामिल हैं। भारत की इन आठ फसलों से तैयार मोटाअनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसमें फाइबर, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, जिंक, कैल्सियम एवंआयरन गेंहूँ एवं चाबल की तुलना में अधिक मात्रा में मिलता है। मोटे अनाज न केवल एक संतुलित एवं पोषक आहार हैं, बल्कि ये ग्लूटेन फी भी होते हैं और विटामिन बी का अच्छा स्रोत है। मोटे अनाज बदलते हुये जलवायु पैदा हो सकते हैं और इससे स्थानीय फसलों को प्रोत्साहन भी मिलता है, जिससे स्थानीय विविधता और सस्टेनेबल फूड सिस्टम भी हासिल होता है।कैडिट मुस्कान जोशी ने बताया कि अगर आने वाली अनेक बीमारियों से लड़ना है तो उसके लिये हमे शारीरिक रूप से सशक्त और मजबूत बनना होगा, जो केबल मोटे अनाजों के सेवन से ही सम्भव है। कैडिट सानियां खान ने बताया कि आज की पीढ़ी को यह न पता होना कि हमारे पुराने अनाजों के नाम क्या हैं, बड़ी दुविधा है। कैडिट काजल गौड़, कैडिट सुमन प्रजापति, कैडिट नम्रता माहौर एवं अन्य कैडिटों ने भी अपने विचार रखे।तत्पश्चात कैडिटों ने मोटे अनाजों से बनाये गये स्वादिस्ट व्यंजनों को एवं ड्राइगिं पोस्टरों को प्रदर्शित किया, जिनका निरीक्षण प्राचार्य एवं महाविद्यालय स्टाफ द्वारा किया गया।

कार्यशाला में डॉ. ए.एस. गहलौत, डॉ. जी.डी. वैश्य, डॉ. आर. एल. सखबार, डॉ. अल्का यादव, डॉ मंजूलता शर्मा, डॉ. केदार श्रीवास, डॉ. उपेन्द्र यादव, डॉ. दीपक मोदी एवं 60 एन.सी.सी. कॅडिट उपस्थित हुये। कार्यशाला का संचालन एन.सी.सी. अधिकारी मेजर श्री राजवीर सिंह किरार ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button