फूलों से ज्यादा आचरण की खुशबू की महत्ता होती है – आचार्य सौरभ सागर

जयपुर। सोमवार को आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा कि   फूलों से ज्यादा आचरण की खुशबू की महत्ता होती है, जैन कुल में जन्म लेने पर देव, शास्त्र, गुरु का समागम मिलता, यदि व्यक्ति जैनत्व के आचरण के विपरीत कार्य करता है तो वह सिर्फ जन्म है ना जैन है, ना कर्मना है। आचार्य सौरभ सागर ने ” पूजन के मध्य विधान की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि ” इस विधान की महिमा अपरंपार है, जिस किसी ने भी आस्था और विश्वास के साथ सिद्धचक्र विधान पूजन किया है उसके प्रत्येक दुखो का हरण हुआ है। मैना सुंदरी ने जब इस विधान पूजन को किया था तब अपने पति सहित 700 कोढ़ीयों के तन पर यंत्र अभिषेक का गंदोधक क्षेपन किया तो उनका कोड दूर हो गया था, जबकि उस समयकाल के दौरान इतने संसाधन नहीं हुआ करते थे जितने संसाधन आज उपलब्ध हैं।

अगर उस समय आज के जितने संसाधन होते तो आज इसकी महिमा का वर्णन करने की आवश्यकता नहीं होती। अब साधु और श्रावक मिलकर इस विधान को ओर प्रभावशाली बनायेगे। दोपहर में आचार्यश्री के सानिध्य में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन धर्म संरक्षिणी महासभा के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर रमेश तिजारिया, सुनील बख्शी, प्रदीप जैन, विनोद जैन कोटखावदा, पदम बिलाला, मनीष बैद, आलोक जैन तिजारिया, भाग चन्द मित्रपुरा सहित बडी संख्या में जैन बन्धु शामिल हुए।

मंच संचालन कमल बाबू जैन एवं राजेन्द्र बिलाला ने किया। सायंकाल गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद, अध्यक्ष आलोक जैन, कोषाध्यक्ष देवेंद्र बाकलीवाल, मंत्री मनीष बैद के नेतृत्व में संगीतमय महाआरती की गई। तत्पश्चात आनन्द यात्रा का आयोजन किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button