दो दिवसीय ग्यारहवीं शरीफ का हुआ आयोजन, उमड़ी जायरीनों की भीड़
आगरा। पीरान ए पीर हजरत मुईनुद्दीन अब्दुल कादरी जिलानी बड़े पीर साहब की 11वी रवि उस्मानी की फातिहा बड़े ही जश्न ओ शौकत के साथ मनाई गई। यह कार्यक्रम गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा। जिसमे शहर के साथ ही अन्य जिलों के जायरीन अलम शरीफ कि जियरात कर सकेंगे। मेवा कटरा स्थित अस्ताना ओलिया क़ादरीया में अलम शरीफ को रखा गया है। गुरुवार की दोपहर को आस्ताना आलिया कादरीया के सज्जादा सैय्यद सिनवान अहमद शाह कादरी कई सालो से इस परंपरा को निभाते आ रहे है। ग्यारहवीं शरीफ़ की फातिहा के बाद महफिल ए शमा का आयोजन किया गया। जिसमे हजारों कि तादाद में शहर व अन्य शहरों से आए जायरीनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान अजमेर शरीफ की दरगाह से आए अली हमजा, फतेहपुर सीकरी के सज्जादानशी रईस मिया चिश्ती, ग्वालियर राशिद खानूनी, फिरोजाबाद से गुलाम समधानी, बीकानेर से हाफिज फरमान अली, मोहतिशाम अली अबुल उलाई के साथ अन्य लोग मौजूद रहे।
इतिहास
पीरान ए पीर हजरत मोईनुद्दीन अब्दुल कादिर जिलानी बड़े पीर साहब की 11 रवी उस्मानी को बड़े जश्न और शानओ शौकत के साथ मनाई जाती है जिसको बाद में ग्यारहवीं शरीफ का नाम दिया गया था । ग्यारहवीं शरीफ को दुनिया में विशेषकर भारत में बड़ी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया जाता है। सन 1779 ईसवी में हजरत गौस पाक के परपोते हजरत अब्दुल्ला शाह बगदादी अपने पूर्वज के आदेश पर आगरा आए थे। आपने अपने दादा हुजूर के आदेश पर हजरत गौस पाक का आलम शरीफ बगदाद से लाकर उस समय के जाने माने सूफी संत हजरत मौलवी अमजद अली शाह रहमतुल्ला अलैह को भेंट किया था, और आपको सिलसिला ए कदरिया में मुरीद कर खिलाफत से नवाजा, और आदेश दिया कि हर महीने की ग्यारह तारीख को फातिहा कराई जाए, और गरीबों में लंगर बांटा जाए। उसी परंपरा को आस्ताना आलिया कादरी के सज्जादा नशीन सैय्यद सिनवान अहमद शाह निभाते चले आ रहे है।