गूगल से गोंद और उसकी चुनौतियां

मुरैना 27 नवंबर 2023/गूगल का पौधरोपण तो कुछ जानकारों ने किया है। किंतु चुनौतियां यह है कि गोंद कैसे निकलता है। यह जानकारी का अभाव है। हमारे अध्ययन से यह निकल कर आया है।
उदाहरण के लिए दयालबाग सेवा संस्थान में स्वर्गीय अनिल ओबरॉय साहब पीसीसीएफ द्वारा 500 पौधे गूगल के हमारे द्वारा लगवाए गए थे। आज 11, 12 वर्ष के एक विशाल झाड बनाकर तैयार हो गए, उनके एक्सपायर होने के बाद उनसे कोई आज दिनांक तक गोंद नहीं निकल पाये करण जानकारी का अभाव हमारे द्वारा इसी वर्ष मार्च में उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। गोंद निकालने का परंतु मार्च में गौद नहीं निकल पाया कारण रहा वह सही से  गूगल गोंद का घोल नहीं बना पाए तथा चीरा लगाते समय  बारिस हो गई इस बार दीपावली के बाद पुनः चीरा लगाया और गौद निकल आया हमारे  बताएं अनुसार , हमें बड़ी प्रसन्नता होती है जब हमारे लगाए गए पौधों से लोगों को लाभ होता है । किंतु इस बार भी उन्होंने एक गलती की पेड़ों में पानी दे दिया। और देखने में यह भी आया की वहां डॉक्टर ओ पी तनेजा साहब, डॉक्टर समीक्षा, डॉक्टर भटनागर से मिली जानकारी अनुसार उन्होंने बताया कि जो 500 पौधे आपने लगाए थे वह अब कम रह गए हैं। कारण बताया ओवराय साहब के जाने के बाद लोगों को पता ही नहीं था कि यह पौधा गूगल है। और कोई काम का है। क्योंकि गूगल में 5 माह ही पत्तियां रहती है। उसके बाद उसमें पत्तियां नहीं होती हैं। उन पेड़ों को बेकार का झाड़ समझ के उखाड़ फेंक दिया तथा कुछ को दीमक ने नुकसान पहुंचा ,जानकार लोग गूगल लगा तो जाते हैं। परंतु नीचे वाले लोग जानकारी के अभाव में उसे खत्म भी कर देते हैं। ऐसा देखने में आया है क्योंकि गूगल से गोंद 6-7 साल बाद निकलता है।
दूसरे – डॉक्टर मधुसूदन साहब पुणे के निवासी हैं। इनके 60 पौधे 15 वर्ष के विशाल झाड़ के रूप में लगे हुए हैं। कई वर्ष से आप उनसे गौद निकालने का प्रयास कर रहे हैं । परन्तु गोंद नहीं निकाल पाए, ऐसी स्थिति में किसी ने मेरा नंबर उन्हें दे दिया और मैंने विधिवत उन्हें चीरा लगना और घोल बनाना सिखाया है। अब वह सफल हो जाएंगे। यह भी वही गलती कर रहे हैं पेड़ों में पानी देने की।
तीसरा अध्ययन हमारा यह रहा की एक बार हम गुजरात भुज और कच्छ गए थे इस समय ग्राम बागपुर में श्री रंगू सिंह से मिले इनके दो बीघा जमीन में 1000 गूगल के पौधे लगाए थे करीब 20 साल तक लगे रहे ,बड़े हेल्दी और अच्छे पौधे थे किंतु वह गौद नहीं निकाल पाए, करण जानकारी का अभाव उन्होंने जानने की भी कोशिश की तो कोई बता नहीं पाया। और उन्होंने सारे पेड़ उखाड़ कर फेंक दिए एक दो पेड़ बच्चे थे वह हमने देखे थे बड़े शानदार पेड़ थे।
मेरा आप लोगों से विनम्रता पूर्वक अनुरोध है कि यह जानकारी को हितग्राही किसानों को जरूर शेयर करें गूगल से गौद निकालने के जो खास तरीके हैं वह निम्न अनुसार है।
1- गूगल का पौधा 6 साल का हो जाए उसके बाद ही गोंद निकालै।
2- गूगल के पेड़ में 3 साल के बाद कभी पानी न दें बरसात का जल ही उसके लिए पर्याप्त है।
3-  इस बात का ध्यान रखा जाए गूगल से गौद निकलने से पहले एक दो माह तक पानी कतई ना दे क्योंकि पौधों में पानी देने से ट्रेस नहीं आता है और गौद नहीं निकालता है। पानी दैना ही नहीं है।
4- चीरा लगाने से 24 घंटे पहले गूगल गौद का गाडा  घोल बनाया जाए।
5- घोल बनाने के लिए जितना पुराना गूगल गोंद होगा उतना ही अच्छा गौद निकलेगा यह ध्यान रखा जाए।
6-  चीरा लगाते समय यंत्र से या चाकू से कम से कम 2 एम,एम और अधिक से अधिक 3 एम,एम गहरा गूगल शाखा में चीरा लगना आवश्यक है। इससे कम या ज्यादा ना हो।
7- एक पौधे में चार से पांच चीर ही लगाऐ जाए।
8 – चीर मुख्य तने में न लगाकर उसकी शाखों में लगाया जाए।
9 – चीरा लगाने के बाद 5 दिन के बाद ही गोद निकलता है । थोड़ा धैर्य धारण करें गोंद निकलेगा और चार-पांच दिन निकलेगा रोजाना उसे तोड़ना जरूरी है।
10 – गूगल पौधों का रोपण करें तो यह ध्यान रखा जाए की वहां पानी नहीं भरता हो गूगल की एक विशेषता यह भी है कि वह सिर्फ बरसात में ही बढ़ता है। इसका कारण यह है। इसमें सिर्फ 5 माह बरसात के सीजन में ही पत्तियां रहती हैं । इस समय प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर यह अपना भोजन बनता है। इसलिए बरसात के सीजन में गूगल के पौधे में घास और खरपतवार नहीं होना चाहिए तथा सड़ा हुआ गोबर का खाद दे देना चाहिए। छोटे पौधे एवं बड़े पौधे सभी में, इसका पौधा मुलायम होता है। इसलिए एक दो वर्ष इसकी सुरक्षा की भी आवश्यकता है। क्योंकि यह पशुओं के पैरों से टूट जाता है। फिर इसकी बड़बार रुक जाती है।या मर जाता है।
उपरोक्त जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं क्योंकि देश की विभिन्न भागों में लोगों द्वारा गूगल के पौधे तो लगाए हैं ‌। परंतु जानकारी के अभाव में वह गोंद नहीं निकाल पाते हैं। क्योंकि ऐसे चार पांच केस तो मेरे पास आए हैं। और 50सौ कैस और होंगे जो मुझ तक नहीं पहुंच पाए हैं। लोगों को हाथों उत्साहित होने से बचने के लिए एवं रैड स्पीशीज के संरक्षण के लिए तथा औषधि हेतु गोंद की उपलब्धता हेतु जन हिताय और जन सुखाय के लिए इसे ज्यादा से ज्यादा फैलाए।

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