जिला क्षय रोग विभाग के स्टाफ ने गोद लिये टीबी के 30 मरीज, प्रदान की पोषण पोटली

आगरा। जिला क्षय रोग विभाग के स्टाफ ने बृहस्पतिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में टीबी के 30 मरीजों को गोद लेकर पोषण पोटली प्रदान की| इस अवसर पर टीबी मरीजों को नियमित दवा खाने के लिए प्रेरित किया गया और उनके परिजनों को टीबी से बचाव की जानकारी दी गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। टीबी दो तरह की होती है। फेफड़ों की टीबी और शरीर के अन्य अंगों की टीबी। बालों और नाखूनों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है, इसमें केवल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है। उन्होंने बताया कि टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को पोषक तत्व लेना अति आवश्यक है। इसके लिए समाज सेवी, विभिन्न संस्थानों की मदद से उन्हें पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। टीबी मरीज को हताश नहीं होना है, जनपद आगरा का टीबी विभाग सदैव उनके साथ है। कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने कहा कि टीबी के इलाज के दौरान दवाओं के साथ-साथ पोषण और भावनात्मक सहयोग भी जरूरी है। इसलिए टीबी की दवा के साथ-साथ पोषण का भी ध्यान रखना चाहिए और परिवार व समाज के लोगों को टीबी मरीजों को भावनात्मक सहयोग प्रदान करना चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि टीबी मरीज उपचार अधूरा न छोड़ें, नियमित दवा का सेवन करें। बीच में टीबी का उपचार छोड़ने से टीबी बिगड़ने की संभावना रहती है, जिसे एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) टीबी कहते हैं। आमतौर पर टीबी का उपचार छह से नौ माह तक चलता है, जबकि एमडीआर टीबी के उपचार लंबा चलता है। जनपद निवासी 29 वर्षीय रानी (बदला हुआ नाम ) ने बताया विभाग की ओर से दवा और राशन से हमें बहुत सहयोग मिलेगा| आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से हमें पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता, लेकिन पौष्टिक आहार मिल रहा है तो हम जल्दी से स्वस्थ हो जाएंगे l इस मौके पर जिला क्षय रोग विभाग का समस्त स्टाफ मौजूद रहा l
बताए गए टीबी को पहचानने के लक्षण
•दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आना, टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है।
• रात में सोते समय पसीना आना
• बुखार का बने रहना
• थकावट होना
• वजन घटना
• सांस लेने में परेशानी

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