UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड, जी हां CAA के बाद अब यूसीसी भी लागू होने को..
UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड, जी हां CAA के बाद अब यूसीसी भी लागू होने को..
2024 में केंद्र द्वारा एक के बाद एक कानून लागू किए जा रहे हैं। एक तरफ बस कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं वहीं दूसरी तरफ केंद्र द्वारा एक बाद एक कानून जो बीते कई सालों से पेंडिंग पड़े थे अब धीरे धीरे लागू होते जा रहे हैं। इस प्रक्रिया पर कई राजनितिक पार्टियों ने केंद्र की आलोचना भी हैं, विपक्ष का मानना है कि अभी लोकसभा चुनव आने वाले हैं शायद इसलिए बीजेपी नई योजनाएं और कानून लागू कर रही है। CAA के बाद अब उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड 2024 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फरवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधानसभा से पारित किया था।
अब ख़बर विस्तार से “उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने का रास्ता अब साफ हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा तैयार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से मंजूरी दे दी गई है। इसकी जानकारी खुद सीएम धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी।
आइए जानते है इससे महिलाओं को क्या फायदा होगा?
सीएम धामी ने सोशल मीडिया ऐप “x” पर लिखा कि समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ-साथ महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर भी लगाम लगेगी। उन्होंने पोस्ट में राष्ट्रपति भवन और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी टैग किया है। उन्होंने आगे लिखते हुए कहा कि यह प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण हैं ” हमारी सरकार द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी प्रदान की है। निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर भी लगाम लगेगी।”
UCC में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी सख्त प्रावधान हैं। उत्तराखंड में अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी कर दिया गया है। बिना बताए लिव-इन लोगों को 3 महिने जेल और 10,000 जुर्माना देना होगा, इसके साथ ही अगर इस दौरान कपल को बच्चे हो जाते हैं तो इसे मान्य माना जाएगा। देखा जाए तो आज की पीढ़ी को देखते हुए यह कानून आने आवश्यक था, शायद अब महिलाओ के साथ होने वाले क्राइम थोड़े कम हो सकें।