न दुष्कर्म हुआ न अपहरण, मां ग्वालियर पढ़ने भेज रही थी, इसलिए आत्महत्या का किया प्रयास
दमोह । दमोह जिले के पथरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत नाबालिग छात्रा ने न्यायालय में बयान दिए हैं कि न तो उसके साथ दुष्कर्म हुआ है और न ही उसका अपहरण किया गया था। उसकी मां उसे जबरन ग्वालियर अपनी बड़ी बहन के यहां पढ़ने भेजना चाहती थी और वह जाना नहीं चाह रही थी। इसलिए उसने स्कूल से घर आते समय एक खेत में जाकर खुद के हाथ को ब्लेड से काटकर आत्महत्या का प्रयास किया। ब्लीडिंग होने पर वो घबरा गई थी। उसने संकोच के मारे परिजन और पुलिस को अपहरण की झूठी कहानी सुनाई थी। ये वही छात्रा है, जिसे लेकर दो दिन पहले पथरिया पुलिस ने तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ दुष्कर्म और अपहरण का मामला दर्ज किया था। मंगलवार शाम 16 वर्षीय छात्रा बेहोशी की हालत में एक गांव में आदिवासी के घर में मिली थी। उसके हांथ पर बंधे थे, परिजनों को खबर मिली तो वह मौके पर पहुंच गए और बेहोशी की हालत में छात्रा को लेकर जिला अस्पताल आ गए। होश आने पर छात्रा ने पुलिस को बताया कि वह स्कूल से घर आ रही थी। तीन अज्ञात लोगों ने उसके मुंह पर कपड़ा डालकर कुछ सुंघाया, जिससे वह बेहोश हो गई और उसे होश नहीं उसके साथ क्या हुआ। इधर, डॉक्टर की टीम ने उसका मेडिकल परीक्षण किया, जिसमें दुष्कर्म की बात को पूरे तरीके से नहीं नकारा था। इसी आधार पर पथरिया पुलिस ने तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ दुष्कर्म, अपहरण और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने कुछ संदेहियों को भी उठाया था, जिनसे पूछताछ की जा रही थी।
यह है घटनाक्रम की सच्ची कहानी
पथरिया थाना टीआई सुधीर बेगी ने बताया कि बुधवार को न्यायालय में 164 के तहत छात्रा के बयान कराए गए थे, जिसमें छात्रा ने बताया कि मेरी मां मुझे अपनी बड़ी बहन के यहां ग्वालियर पढ़ने भेज रही थी। लेकिन मैं जाना नहीं चाहती थी। मंगलवार सुबह स्कूल जाते वक्त मैंने गांव की किराने की दुकान से तीन ब्लेड खरीदी, दो अपने भाई को दे दी, जो लेकर घर चला गया। एक ब्लेड मैंने अपने बैग में रख ली। स्कूल से वापस लौटते वक्त रास्ते में मेरे दादा मिल गए। दोनों घर जा रहे थे, तभी हल्ले नाम का एक व्यक्ति दादा से बात करने लगा। दोनों वहां ठहर गए और मैं कुछ दूर आगे निकल गई।
वहां एक मोड़ था जहां से मेरे दादा दिखाई नहीं दे रहे थे। मैंने पत्थर की दीवार फांदी और खेत में पहुंचकर ब्लेड से अपने दाहिने हाथ पर काटना शुरू कर दिया। जब हाथ से खून बहने लगा, तो मैं घबरा गई। मैंने अपनी चुनरी से अपने हाथ को बांधा और वहां से दौड़ते हुए भागीरथ आदिवासी के घर पहुंच गई और उनसे कहा, मेरी मां को बुला दो। उन्होंने मेरी मां को फोन लगाया, तब तक मैं बेहोश हो चुकी थी। जब मुझे होश आया तो मेरी मां, परिवार के लोग सब मुझसे पूछने लगे क्या हुआ। मैं शर्मिंदा थी इसलिए पहले तो किसी को कुछ नहीं बताया। लेकिन जब पुलिस ने पूछताछ की तो मैंने तीन अज्ञात लोगों वाली कहानी बता दी। टीआई बेगी ने बताया कि अब स्पष्ट हो चुका है कि छात्रा से जुड़ा घटनाक्रम झूठा था। इसलिए अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को खारिज करने के लिए न्यायालय में रिपोर्ट सबमिट की जाएगी।