शनिवार को लोकसभा उम्‍मीदवारों के लिए कांग्रेस करेगी मंथन; कहा तो यही जा रहा है कि कांग्रेस अपने उम्‍मीदवार पहले घोषित करेगी

शनिवार को लोकसभा उम्‍मीदवारों के लिए कांग्रेस करेगी मंथन; कहा तो यही जा रहा है कि कांग्रेस अपने उम्‍मीदवार पहले घोषित करेगी

भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों की तैयारियां तेज होती जा रही हैं।विधान सभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के चलते एक ओर जहां भाजपा के हौसले बुलंद हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस लोकसभा के माध्‍यम से प्रदेश में ही सही एक बार फिर वापसी की रण्‍नीति बना रही है। यही कारण है कि कांग्रेस इस मामले में जोर आजमाइश भी करना शुरू कर दी है।

यही कारण है कि सूत्र बता रहे हैं कि इस महीने के आखिरी में कांग्रेस अपने उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी कर रही है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्‍व की ओर से नियुक्त स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष रजनी पाटिल की अध्यक्षता में कल शनिवार यानी 3 फरवरी को मध्यप्रदेश कांग्रेस की बैठक प्रदेश कार्यालय में होना तय हो चुका है। बैठक में प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के दावेदारों के नामों का पैनल बनाया जाएगा।

लोकसभा चुनाव के लिए नियुक्त 29 को-ऑर्डिनेटर ने अपने प्रभार के क्षेत्र में आने वाली सभी सात-आठ विधानसभाओं में जाकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बैठकें की हैं। इन बैठकों में संभावित दावेदारों के नामों के पैनल भी दिए जाएंगे। इसके साथ ही जीत-हार के लिए जरूरी फैक्टर्स पर भी चर्चा होगी।कुल मिलाकर लोक सभा की बुनियाद कल तीन फरवरी को रख दी जायेगी।

प्रदेश की नौ सीटें ऐसी, जहां कांग्रेस 7 से नहीं जीती
चुनाव के रिकार्ड पर नजर डालें तो पता चलता है कि मध्‍य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में 9 ऐसी हैं, जहां कांग्रेस लगातार 7 बार से ज्यादा चुनाव हार रही है। इंदौर, भोपाल और भिंड लोकसभा सीटों पर कांग्रेस लगातार 9 चुनाव हारी है, जबकि दमोह सीट 8 बार से हार रही है। जबलपुर, सतना, सागर, मुरैना और बैतूल सीट पर 7 बार से हार रही है।

बालाघाट में लगातार 6 चुनाव, ग्वालियर, खजुराहो में पिछले चार चुनावों से कांग्रेस हारती आ रही है। सीधी, खरगोन में तीन बार से और होशंगाबाद, राजगढ़, देवास, मंदसौर, धार, शहडोल, खंडवा, मंडला, उज्जैन में पिछले दो चुनावों से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है।

दिग्‍गजों की चुप्‍पी के मायने –
प्रदेश कांग्रेस एक ओर जहां लोक सभा के माध्‍यम से वापसी करना चाह रही है लेकिन प्रदेश के जितने भी दिग्‍गज हैं अभी तक किसी ने आगे बढकर दावेदारी नहीं की है। राजनीति के जानकारों की मानें तो इस चुप्‍पी से बडे बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस क्‍या अब पूरी तरह युवाओं को आगे करके कुछ नया करने पर विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है तो माना जायेगा कि राहुल की मर्जी से यह बदलाव हो रहा है। अब आगे परिणाम क्‍या आएगा यह कहना जल्‍दबाजी होगी।

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