खरपतवार की समस्या से निजात दिलाएगा कंप्यूटरीकृत वीड डिटेक्टर

खरपतवार की समस्या से निजात दिलाएगा कंप्यूटरीकृत वीड डिटेक्टर

खेतों में उगने वाले खरपतवार को साफ करना कृषकों के लिए बड़ी समस्या होती है। इसके लिए कृषक तरह-तरह के जतन करते हैं। किसानों की इस समस्या का समाधान दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) आईआईटी रुड़की और इंदौर के श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एसजीएसआईटीएस) के प्रोफेसरों ने मिलकर निकाला है। टीम ने एक स्मार्ट आटोनामस वीड डिटेक्टर एंड रिमूवल एआई डिवाइस तैयार किया है।

टीम ने एक स्मार्ट आटोनामस वीड डिटेक्टर एंड रिमूवल एआई डिवाइस तैयार किया है। यह डिवाइस महज 40 मिनट में एक एकड़ के खेत में उगने वाले खरपतवार को उखाड़ फेंकेगा। इस डिवाइस के लिए आईआईटी खड़गपुर की द टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब कंपनी ने करीब 50 लाख रुपये की फंडिंग भी दी है। इस डिवाइस की टेस्टिंग हो चुकी है, जल्द ही यह खेतों में उतरकर खरपतवार का सफाया करने के लिए तैयार होगा।

एसजीएसआईटीएस के इंफॉर्मेशन एंड टेक्नालाजी (आईटी) विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस डिवाइस को कंप्यूटर विजन एआई टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इसमें एचडी क्वालिटी के आईपी बेस्ड चार कैमरे लगे हैं। यह कैमरे एक एमएम के कीड़े की भी पहचान कर सकते हैं।

डिवाइस के लिए अलग-अलग फसलों का डेटा सेट तैयार किया जा रहा है। इसके बाद इस मशीन में फसलों के अनुसार प्रोग्रामिंग किया जाएगा। साथ ही एक एप्लीकेशन भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें डिवाइस को कंट्रोल करने और रिपोर्ट प्राप्त करने की सुविधा रहेगी। इसे इस्तेमाल करने के लिए किसान को सिर्फ एप्लीकेशन पर फसल को सिलेक्ट करना होगा। इसके बाद यह डिवाइस खेत में उस फसल को बिना नुकसान पहुंचाए अन्य तरह के खरपतवार को उखाड़कर कंटेनर में डाल देगा।

इस मशीन में दो कंटेनर लगे रहेंगे, जिनकी संग्रहण क्षमता 20 किलो है। जब यह भर जाएंगे, तो इसे संचालित कर रहे व्यक्ति को मोबाइल पर अलर्ट आ जाएगा। हालांकि, डिवाइस में भी कचरे को स्वत: बाहर फेंकने की सुविधा भी रहेगी। इस डिवाइस का इस्तेमाल ऐसे खेतों में किया जा सकेगा, जिनकी फसल के बीच में करीब 15 से 20 सेंटीमीटर की जगह हो। साथ ही तीन फीट से कम ऊंचाई वाले पौधे होने चाहिए। इंडस्ट्री स्तर पर तैयार इस डिवाइस की कीमत एक लाख रुपये से कम ही होगी।

इस डिवाइस का एप्लीकेंट डीटीयू है। इसे तैयार किया है आईआईटी रुड़की के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नीतेश कुमार, डीटीयू के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय पाटीदार, एसजीएसआईटीएस के इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर उपेंद्र सिंह, डीटीयू के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर रजनी जिंदल और सुमित कुमार शर्मा ने। इस डिवाइस का पेटेंट भी हो चुका है और अब ग्रांट के लिए पेटेंट फाइल किया गया है।

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