पीएमओ अफसर बन IAS-IPS समेत 70 अधिकारियों से लंबी-लंबी करता था बात, ठग ने उगले सरपरस्‍तों के नाम

लखनऊ
पीएमओ अफसर बन कर ठगी करने वाले संतोष सिंह उर्फ अभिषेक प्रताप सिंह ने छह घंटे की पुलिस रिमांड में सरपरस्त अफसरों के नाम उगल दिए हैं। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर उसके किराए के विला से जेवर, नगदी और सैकड़ों दस्तावेज भी बरामद किए हैं। बरामदगी की जानकारी पुलिस ने मीडिया को दी है पर सरपरस्तों के नाम उजागर नहीं किए हैं। सूत्रों का कहना है कि सरपरस्तों में मुख्य रूप से एक प्रमोटी आईपीएस हैं, जिनकी तैनाती यातायात विभाग में है। उसकी कॉल डिटेल में 70 अफसरों से लंबी-लंबी बातों के रिकॉर्ड मिले हैं। इनमें आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस अफसर भी शामिल हैं।

पुलिस के मुताबिक ठग संतोष को पॉयनियर ग्रीन स्थित उसके किराए के विला नंबर 67 ले जाया गया। जहां पहले माले के स्टोर रूम में उसने धोखाधड़ी और वसूली की रकम से खरीदे गए जेवरात (2 अंगूठी, एक सोने की चेन) और 1.45 लाख रुपए नगद बरामद किए हैं। उसके दो बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली है। जिन्हें विवेचक ने सीज करा दिया है। एक अन्य खाते का सत्यापन कराया जा रहा है। वह भी सीज होगा। इन खातों में 10 लाख रुपये से ज्यादा रकम है। इस मामले में लगातार जांच और तेजी से की जा रही है।

पुलिस से उलझे वकील
पुलिस जब ठग को लेकर उसके विला पहुंची तो आरोपित के वकील मोहित श्रीवास्तव पुलिस से उलझ गए। उन्होंने पुलिस पर मनमानी का आरोप लगाया। पुलिस ने नियमानुसार वकील को उचित दूरी पर रहने को कहा। पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपित को कोर्ट में पेश किया और वहां से उसे वापस जेल भेज दिया गया।

पुलिस ने बताया
डीसीपी वेस्‍ट विजय ढुल ने बताया कि ठगी में बंद संतोष ने पुलिस कस्टडी रिमांड में कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी दी है। जेवर-नगदी व दस्तावेज बरामद हुए हैं। आगे विवेचना में मिले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

‘खान साहब’ ने गनर दिलाया.. रुपये उधार के
जिस पॉयनियर ग्रीन में संतोष उर्फ ‘एपी सर’ गार्ड-गनर के साये में रुतबे के साथ जाता था, वहां शनिवार को ठगी के मुल्जिम के रूप में हाथ बांध कर ले जाया गया तो उसे पसीना आ गया। कॉलोनी के हर विला की खिड़कियां खुल गईं। जहां कथित मंगेतर और गुर्गों के जरिए उसने खुद के पीएमओ और एनआईए अफसर होने का ड्रामा रचा रखा था, वहां पुलिस जीप से जालसाज के रूप में उतारा गया। इसका असर यह रहा कि पूछताछ़ में उसकी जुबान सूखने लगी।

वह हकलाने लगा और सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने कई खुलासे किए। मसलन पहला गनर उसने एक अफसर के करीबी ‘खान साहब’ की मेहरबानी से हासिल किया। यह सवा साल पहले उन्नाव से मिला। खान साहब को लखनऊ में ट्रैफिक विभाग के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने गनर दिलाने को कहा था। पुलिस अभी अधिकारी का नाम लिखापढ़ी में नहीं लाई है। दूसरा गनर सात माह पूर्व एटा जिले से मिलने की बात उसने कबूली मगर अधिकारी का नाम नहीं बताया।

दो खाते सीज
संतोष के वाराणसी में आईसीआईसीआई और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के दो खाते पुलिस ने सीज किए हैं। ट्रांजेक्शन डिटेल में छोटी-बड़ी रकमे जमा हुई हैं। उसने इसे उधार वापसी बताया। पुलिस ने पूछा कि इतने रुपए कहां से आए? इस पर वह खामोश हो गया।

ठगी और जालसाजी की धाराएं बढ़ाई गईं
संतोष सिंह पर ठगी और जालसाजी की धाराएं बढ़ा दी गई हैं। 20 अगस्त को बिल्डर निखिल शर्मा ने उस पर अमानत में खयानत, रंगदारी, धमकी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इंस्पेक्टर बिठूर अतुल कुमार सिंह ने बताया कि इसमें अमानत में खयानत के सबूत नहीं मिले। जिसे हटा कर धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा छल करना) और 420 (धोखाधड़ी) बढ़ाई गई है। बिल्डर निखिल शर्मा ने आरोपित पर 22 लाख रुपए वसूलने का आरोप लगाया है। जो रुपए उसके विला से बरामद हुए हैं, पुलिस के अनुसार यह उसी रकम का हिस्सा है जो बिल्डर से वसूली गई थी। संतोष के साथ एसटीएफ ने उसके चालक धर्मेन्द्र यादव को भी गिरफ्तार किया था। वहीं उसका फर्जी पीआरओ ममेरा भाई प्रदीप अब तलाशा जा रहा है। एसीपी कल्याणपुर विकास पाण्डेय ने बताया कि प्रदीप की गिरफ्तारी के लिए टीम लगाई गई है।

सोमवार को मंगेतर से पूछताछ
पुलिस ने ठग की मंगेतर को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। इंस्पेक्टर बिठूर के मुताबिक वह वर्तमान में अपने घर जौनपुर में हैं और उसने रविवार या फिर सोमवार को आने को कहा है। उनके आने के बाद पूरे प्रकरण में उनसे पूछताछ की जाएगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक संतोष मूल रूप से ग्राम कतवारूपुर गोराई वाराणासी का रहने वाला है। उसने काशी विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद वहीं ठेकेदारी की। एक रिश्तेदार के जरिए कथित मंगेतर से मिला। मंगेतर का कानपुर के एक मेडिकल कॉलेज में एडमीशन कराया और खुद यहीं ठगी का ठिकाना गना लिया।

जमीनों के दस्तावेजों की जांच
विला से मिले दो बैग दस्तावेजों में अब पुलिस अन्य मामलों के सबूत खंगाल रही है। माना जा रहा है कि संतोष ने तमाम लोगों को ठगा है। विला से मिले दो बैग दस्तावेज में अन्य मामले मिलेंगे। इनमें जमीनों और सम्पत्तियों से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज हैं। जिनका सत्यापन हो रहा।

 

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