एन.आर.सी. केन्द्र पर बैड खाली रहे, यह हम सबके लिये चिंता का विषय

एन.आर.सी. केन्द्र पर बैड खाली रहे, यह हम सबके लिये चिंता का विषय

कलेक्टर श्री अंकित अस्थाना ने कहा है, कि मुरैना जिले में कुपोषण को मिटाने के लिये महिला बाल विकास विभाग कटिबद्ध होकर कार्य करें। मुरैना जिल में एनआरसी केन्द्र खाली रहें तो हम सबके लिये चिंता का विषय बनेगा। जिले में एनआरसी एक भी क्षमता से कम नहीं होने चाहिये। उन्होंने कहा कि जिले में मुरैना, अम्बाह, कैलारस, जौरा, सबलगढ़ और पहाडगढ़ में एनआरसी केन्द्र खुले है, जिनमें 70 बैड उपलब्ध है। जिले में मात्र 60 बच्चे उपलब्ध है।

कलेक्टर ने कहा कि अगर बैड की क्षमता से अधिक बच्चे भी एनआरसी पर पहुंचते है, तो संबंधित बीएमओ से बात करें। दो, चार अतिरिक्त बैड तो हर स्वास्थ्य संस्था पर मिल सकते है। परन्तु एनआरसी में बैड खाली नहीं रहना चाहिये, इसका सुड्युल अगले टर्न के लिये बनाकर रखें।

कलेक्टर ने बताया कि 14 फरवरी की स्थिति में एनआरसी केन्द्र मुरैना में 20 बैड पर मात्र 6, अम्बाह में 10 बैड पर 14, कैलारस में 10 बैड पर 16, जौरा में 10 बैड पर 10, सबगलढ़ में 10 बैड पर 7 और पहाडगढ़ एनआरसी में 10 बैड पर 7 बच्चे उपलब्ध है। जबकि 6 एनआरसी में 70 बैड पर 70 बच्चे होने चाहिये।

कलेक्टर ने कहा कि विशेषकर मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत सीएम हेल्पलाइन प्राप्त हो रही है, जिसमें 894 शिकायतें लाभ परित्याग की शिकायतें है। इन शिकायतों को प्रत्येक सुपरवाइजर डिवाइड करें, एक सुपरवाइजर पर 8 या 10 शिकायतें निकलकर आयेंगी, उन महिला हितग्राहियों से घर-घर संपर्क करें। जिसकी समीक्षा अगली टीएल में की जायेगी। यह सभी शिकायतें कटना चाहिये।

कलेक्टर ने कहा कि एक अप्रैल 2023 से 14 फरवरी 2024 तक पंजीकृत सेम बच्चे 1 हजार 124 हैं, जिनमें से 43 बच्चे सेम से मेम में और 598 सेम से नॉर्मल जिले में अभी भी 383 बच्चे सेम में है। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2023 से 14 फरवरी 2024 तक पंजीकृत मेम बच्चों की संख्या 2 हजार 707 है, जिनमें से सेम के 10, मेम से नॉर्मल में 2 हजार 62, शेष मेम 635 बच्चे उपलब्ध है। कलेक्टर ने महिला बाल विकास विभाग के तहत घरेलू हिंसा, बाल विवाह, बाल यौन शोषण सहित अन्य योजनाओं पर विस्तार से समीक्षा की।

बैठक में जिला सीईओ डॉ. गढ़पाले ने कहा कि सभी सुपरवाइजर आंगनवाड़ियों पर घूमें, मुझे किसी भी आंगनवाड़ी पर ऐसी शिकायत नहीं मिलना चाहिये, कि बच्चे परेशान है, पोषण आहार समय पर नहीं मिलता। इस प्रकार की शिकायत किसी आंगनवाड़ी से मिली तो पहले सुपरवाइजर जिम्मेदार होंगे। जो समूह इस प्रकार की लापरवाही बरतेगा, उसके खिलाफ गोपनीय लिखित में भेजे, उस समूह को तत्काल हटाया जायेगा। सीडीपीओ भी यह सुनिश्चित करे।

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